फूलों की होली
>> मंगलवार, 13 मार्च 2012
गुलाल के रूप में बाजार में जो रासायनिक मॉल मिल रहा है उसका काफी दुष्प्रभाव सामने आ रहा है .लोंगों को एलर्जी की शिकायत आम हो गई है . रासायनिक गुलालों एवं रंगों से आँखों के साथ साथ शरीर की त्वचा पर बुरा असर पड़ता है .इसे देखते हुए टेसू के फूलों से बने रंग के इस्तेमाल की सलाह जानकारों द्वारा दी जाती है . पिछले कुछ वर्षों से फूलों की पंखुड़ियों से होली मनाने का प्रचलन बढ़ रहा है.इस बार हमने भी इसे अपनाया . लोग काफी खुश हुए . पर्यावरण एवं जीवन की सुरक्षा के लिए कुछ परंपराओं को बदलने की जरुरत पड़े तो बदलना चाहिए.
5 टिप्पणियाँ:
YAHI TAREEKA SAHI HAI .AAPKO SAPRIVAR HOLI PARV KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN .YE HAI MISSION LONDON OLYMPIC
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बंद करो बक बक - ब्लॉग बुलेटिन
बढ़िया प्रयास फूलों की होली का ...
फूलों की होली का प्रयास बहोत ही बदिया प्रयास है . बधाई
http://www.ashokbajajcg.com/2015/01/blog-post_18.html
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