पर्यावरण बचाना है--सबको पेड़ लगाना है!!---धरती हरी भरी रहे हमारी--अब तो समझो जिम्मेदारी!! जल ही जीवन-वायू प्राण--इनके बिना है जग निष्प्राण!!### शार्ट एड्रेस "www.paryavaran.tk" से इस साईट पर आ सकते हैं

चिड़ियों की चहक और फूलों की महक के बिना जीवन नीरस: डॉ. रमन सिंह

>> शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

जलवायु परिवर्तन प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा : बृजमोहन अग्रवाल

अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना है : अशोक बजाज

जलवायु परिवर्तन रोकने श्रेष्ठ सुझावों के लिए 250 स्कूली बच्चे पुरस्कृत


            मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि पेड़-पौधे, हवा-पानी, पंछी-पर्वत, खेत-खलिहान सब कुछ हमारे पर्यावरण का ही अभिन्न हिस्सा हैं। इनसे हमें जीवन की ऊर्जा मिलती है। पेड़ नहीं होंगे तो चिड़ियों की चहक और फूलों की महक भी नहीं होगी, जिनके बिना हमारा जीवन नीरस और निरर्थक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट से देश और दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण जागरूकता का विशेष अभियान रायपुर शैक्षणिक जिले के स्कूलों में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। इसकी उत्साहजनक सफलता को देखते हुए अब इसे छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों में चलाया जाएगा, ताकि स्कूली बच्चों के माध्यम से इसका संदेश प्रत्येक घर-परिवार और जन-जन तक पहुंचे।

डॉ. रमन सिंह ने १४ अक्तूबर को अपने निवास पर जलवायु परिवर्तन को लेकर स्कूली बच्चों के जागरूकता अभियान के प्रथम चरण के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले 250  स्कूली बच्चों को पुरस्कार वितरित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। डॉ. सिंह ने छात्र-छात्राओं सहित सभी लोगों को शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा केन्द्रीय भू-विज्ञान मंत्रालय और समाजसेवी संस्था आई.ए.एस.आर.डी.  नई दिल्ली के सहयोग से लगभग डेढ़ माह का यह अभियान विगत 28 अगस्त से कल 13 अक्टूबर तक रायपुर शैक्षणिक जिले के सभी विकासखण्डों में चिन्हांकित 50  समन्वय शालाओं (नोडल स्कूलों)  के माध्यम से उनके 241  स्कूलों में चलाया गया। पूरे अभियान में इन मिडिल स्कूलों, हाई स्कूलों और हायर सेकेण्डरी स्कूलों के लगभग 24  हजार बच्चों ने सक्रिय भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण के संकल्प और संदेश को स्थानीय जनता के बीच प्रचारित किया। मुख्यमंत्री ने आज दोपहर अभियान के प्रथम चरण के समापन पर पुरस्कृत बच्चों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने की। पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम के संयोजक और रायपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने इस अवसर पर अभियान की गतिविधियों का विवरण दिया। छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ.  रमन सिंह ने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए इस अभियान की जोरदार शब्दों में प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह अभियान राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष आम जनता की सक्रिय भागीदारी से शुरू किए गए 'पानी बचाओ अभियान'  और 'हरियर छत्तीसगढ़'  अभियान को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति स्कूली बच्चों में जागरूकता लाने का यह एक अच्छा प्रयास है। वृक्षारोपण करने, बिजली की बचत करने, पॉलीथिन के दुरूपयोग को रोकने जैसे कई कार्य देखने में छोटे जरूर लगते हैं,  लेकिन पर्यावरण संकट से निपटने में ऐसे कार्यो की सबसे बड़ी भूमिका होती है। स्वच्छ और ताजी हवा के झोंके,  नदियों का साफ पानी,  पेड़ों पर चहकते गौरैया, तोता, मैना और कोयल और यहां तक कि सांप और बिच्छु भी हमारी प्रकृति और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आवासीय परिसर का उल्लेख करते हुए कहा कि इस परिसर में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 250 वृक्ष हैं और इनमें करीब 40 प्रकार के जीव-जन्तुओं,चिड़ियों और सांप और बिच्छु तक की चहल-पहल होती है। आम के मौसम में कोयल की कुहूक मन को छू जाती है। डॉ.  रमन सिंह ने कहा कि ऐसा ही परिवेश प्रत्येक गांव और शहर में होना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के कारण आज पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का खतरा साफ देखा जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और दुनिया के कई द्वीपों और छोटे देशों सहित अनेक शहरों के निकट भविष्य में जलमग्न होकर डूब जाने का अंदेशा वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में श्री अग्रवाल ने कहा कि यहां भी अब बेमौसम बरसात और खण्ड वर्षा होने लगी है। कभी बरसात के मौसम में इतनी उमस नहीं होती थी,  लेकिन अब बारिश के दिनों में लोग उमस से परेशान रहते हैं। स्वाईन फ्लू और डेंगू जैसी बीमारियों का कभी हम लोगों ने नाम भी नहीं सुना था,  लेकिन आज ये बीमारियां भी जन-स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनकर आयी हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह सब प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है कि आज हमें खाने के लिए अच्छे और स्वादिष्ट फल भी ठीक से नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे आना होगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस कार्य में हमारी नयी पीढ़ी के स्कूली बच्चों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा। यह रायपुर शिक्षा जिले के स्कूलों में चलाए गए अभियान से साबित हो गया है। अगर हम इस अभियान में स्कूली बच्चों को जोड़ेंगे,  तो उनके माता-पिता और परिवार के अन्य लोग भी इसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी बनेंगे। श्री अग्रवाल ने अभियान को रायपुर शिक्षा जिले में मिली सफलता का उल्लेख करते हुए कहा  कि मुख्यमंत्री  डॉ.रमन  सिंह  के  नेतृत्व  में  निकट  भविष्य में यह अभियान प्रदेश भर के स्कूलों में चलाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जल्द जारी किए जाएंगे।

प्रारंभ में अभियान के संयोजक श्री अशोक बजाज ने रायपुर शिक्षा जिले में इसके अन्तर्गत हुए कार्यक्रमों पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के आव्हान पर प्रदेश में इस वर्ष गर्मियों में पानी बचाओ अभियान और बारिश में हरियर छत्तीसगढ़ अभियान चलाया गया जिससे प्रेरणा लेकर रायपुर शिक्षा जिले में दोनों अभियानों के आधार पर पर्यावरण जागरूकता की कार्य योजना बनाकर जिले के विकासखण्डों में 50 नोडल शालाएं चिन्हांकित कर उनके जरिए 239  स्कूलों को इसमें जोड़ा गया। वैसे तो यह अभियान 28 अक्टूबर को माना बस्ती के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल से शुरू किया गया था और एक अक्टूबर को इसका औपचारिक समापन हुआ,  लेकिन अभियान को मिली भारी लोकप्रियता को देखकर जनता की विशेष मांग पर कल 13  अक्टूबर को ग्राम खोला और चण्डी के स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रकार यह अभियान लगभग डेढ़ माह तक चला। श्री बजाज ने कहा कि बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना और दृष्टिकोण को व्यापक बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि अभियान केवल वृक्षारोपण् तक सीमित नहीं था। इसमें बच्चों को पानी की बचत करने,  हवा की कीमत समझने, कुपोषण की रोकथाम और नशाबंदी के बारे में भी बताया गया। नोडल शालाओं के माध्यम से 241 स्कूलों के 25 हजार से अधिक बच्चों ने इसमें सक्रिय उपस्थिति दर्ज करायी। शुभारंभ कार्यक्रम में माना बस्ती के हायर सेकेण्डरी स्कूल में एक हजार बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प लिया। पूरे अभियान में हर विद्यार्थी को वन विभाग द्वारा एक-एक पौधा भी दिया गया और किस बच्चे ने किस प्रजाति का पौधा कहां लगाया है, इसका रिकार्ड भी रखा गया, ताकि बच्चे जीवन भर उसकी देखभाल कर सकें। प्रत्येक विद्यार्थी को एक प्रश्नावली दी गयी जिसमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उनसे सुझाव मांगे गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले पांच-पांच बच्चों का चयन प्रत्येक स्कूल से किया गया, जिन्हें आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया गया है। इस अवसर जिला शिक्षा अधिकारी सहित रायपुर शिक्षा जिले के सभी विकासखण्डों के ब्लाक शिक्षा अधिकारी और संबंधित शालाओं के प्राचार्य तथा बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे उपस्थित थे।

6 टिप्पणियाँ:

ASHOK BAJAJ 16 अक्तूबर 2010 को 8:22 pm बजे  

@ गुप्ता जी
बहुत दिन बाद पहुचें है .धन्यवाद !!
विजयादशमी पर्व की बधाई !!!

ब्लॉ.ललित शर्मा 16 अक्तूबर 2010 को 9:18 pm बजे  

भाई साहब मेरी यु एन ओ के अधिकारियों से चर्चा हो रही है, बहुत जल्दी इस मुद्दे पर हम वहां नजर आयेंगे। उन्हे आज ही मैने सारी गतिविधियों का मेल किया है।

सार्थक शुरुवात के शुभकामनाएं।

shyam gupta 20 अक्तूबर 2010 को 9:39 am बजे  

सत्य है, --
परन्तु जब वही, शास्त्र-
वैग्यानिक आविष्कार
सामाजिक सरोकार
होजाते हैं अति-सुखाभिलाषा के शिकार-
प्रक्रति होती है,
अन्धाधुन्ध दोहन का शिकार
बन जाता है पर्यावरण प्रदूषण का आधार.

एक टिप्पणी भेजें

हमारा पर्यावरण पर आपका स्वागत है।
आपकी सार्थक टिप्पणियाँ हमारा उत्साह बढाती हैं।

  © Blogger template Webnolia by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP