पर्यावरण बचाना है--सबको पेड़ लगाना है!!---धरती हरी भरी रहे हमारी--अब तो समझो जिम्मेदारी!! जल ही जीवन-वायू प्राण--इनके बिना है जग निष्प्राण!!### शार्ट एड्रेस "www.paryavaran.tk" से इस साईट पर आ सकते हैं

पर्यावरण पर लेख भेजें--हजारों के इनाम पाएं !

>> सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

त्तीसगढ में जलावायु परिवर्तन के प्रति चेतना जगाने के लिए रायपुर जिले के समस्त स्कूलों में कार्यक्रम किए गए। अशोक बजाज जी के नेतृत्व में इस कार्यक्रम को अच्छा प्रतिसाद मिला। कार्यक्रम के लिए पहल IASRD के अध्यक्ष के डी गुप्ता जी ने की थी। हमारे भी मन में आया कि सेतु बंध की गिलहरी सदृश्य पर्यावरण जागरण के महायज्ञ में अपनी भी एक आहुति दें, ब्लॉग जगत में एक आलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जाए। इसकी चर्चा हमने अन्य मित्रों से की तो उन्होने भी अपना भरपुर सहयोग देने का वचन दिया। जिससे मेरा उत्साह वर्धन हुआ। हमारा उद्देश्य पर्यावरण के प्रति चेतना जागृति करना है। आज पर्यावरण की हानि होने से ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या से पूरी दुनिया को जुझना पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान सामने आ रहे हैं। हम पर्यावरण की रक्षा करें एवं आने वाली पी्ढी के लिए स्वच्छ वातावरण का निर्माण करें। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए सूचना एवं नियम इस प्रकार है।

विषय -- "बचपन और हमारा पर्यावरण"

प्रथम पुरस्कार
11000/= (ग्यारह हजार रुपए नगद)
एवं प्रमाण-पत्र

द्वितीय पुरस्कार
5100/= (इक्यावन सौ रुपए नगद)
एवं प्रमाण-पत्र

तृती्य पुरस्कार
2100/= (इक्की्स सौ रुपए नगद)
एवं प्रमाण-पत्र

सांत्वना पुरस्कार (10)
501/=(पाँच सौ एक रुपए नगद)
एवं प्रमाण-पत्र


1. इस प्रतियोगिता में 1 नवम्बर 2010 से 30 नवंबर 2010 तक आलेख भेजे जा सकते है.

2. प्रतियोगिता में सिर्फ़ दिए गए विषय पर ही आलेख सम्मिलित किए जाएंगे।

3. एक रचनाकार अपने अधिकतम 3 अप्रकाशित मौलिक आलेख भेज सकता है पुरस्कृत होने की स्थिति में  वह केवल एक ही पुरस्कार का हकदार होगा.

4. स्व रचित आलेख  1 नवम्बर 2010 से 30 नवंबर 2010 तक lekhcontest@gmail.com  पर भेज सकते हैं. कृपया साथ में मौलिकता का प्रमाण-पत्र एवं अपना एक अधिकतम १०० शब्दों में परिचय तथा तस्वीर भी संलग्न करें। नियमावली की कंडिका 7 से संबंध नहीं होने का का भी उल्लेख प्रमाण-पत्र में करें। आलेख कम से कम 500 एवं अधिकतम 1000 शब्दों में होने चाहिए।

आपसे निवेदन है कि प्रत्येक रचना को अलग अलग इमेल से भेजने की कृपा करें. यानि एक इमेल से एक बार मे एक ही रचना भेजे.

5. हमें प्राप्त रचनाओं मे से जो भी रचना प्रतियोगिता में शामिल होने लायक पायी जायेगी उसे हमारे सहयोगी ब्लाग "हमारा पर्यावरण" पर प्रकाशित कर दिया जायेगा, जो इस बात की सूचना होगी कि प्रकाशित रचना प्रतियोगिता में शामिल कर ली गई है।

6. 1 दिसंबर 2010 से प्रतियोगिता में सम्मिलित आलेखों का प्रकाशन  "हमारा पर्यावरण" पर प्रारंभ कर दिया जायेगा.

7. इस प्रतियोगिता में हमारा पर्यावरण, एसार्ड, एवं पर्यावरण मंत्रालय से संबंधित कोई भी व्यक्ति या उसका करीबी रिश्तेदार भाग लेने की पात्रता नहीं रखता।

8. इन रचनाओं पर  "हमारा पर्यावरण" का कापीराईट रहेगा. और कहीं भी उपयोग और प्रकाशन का अधिकार हमें होगा.

9. रचनाओं को पुरस्कृत करने का अधिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ "हमारा पर्यावरण" के संचालकों के पास सुरक्षित रहेगा. इस विषय मे किसी प्रकार का कोई पत्र व्यवहार नही किया जायेगा और ना ही किसी को कोई जवाब दिया जायेगा.

10. इस प्रतियोगिता के समस्त अधिकार और निर्णय के अधिकार सिर्फ़  "हमारा पर्यावरण" के पास सुरक्षित हैं. प्रतियोगिता के नियम किसी भी स्तर पर परिवर्तनीय है.

11.पुरस्कार  IASRD द्वारा प्रायोजित हैं.

12. यह प्रतियोगिता पर्यावरण के प्रति जागरुकता लाने के लिए एवं हिंदी मे स्वस्थ लेखन को बढावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गई है.
(नोट:-प्रतियोगिता में ब्लॉग जगत के अलावा अन्य भी भाग ले सकते हैं प्रतियोगी की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए)

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चिड़ियों की चहक और फूलों की महक के बिना जीवन नीरस: डॉ. रमन सिंह

>> शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

जलवायु परिवर्तन प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा : बृजमोहन अग्रवाल

अभियान का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना है : अशोक बजाज

जलवायु परिवर्तन रोकने श्रेष्ठ सुझावों के लिए 250 स्कूली बच्चे पुरस्कृत


            मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि पेड़-पौधे, हवा-पानी, पंछी-पर्वत, खेत-खलिहान सब कुछ हमारे पर्यावरण का ही अभिन्न हिस्सा हैं। इनसे हमें जीवन की ऊर्जा मिलती है। पेड़ नहीं होंगे तो चिड़ियों की चहक और फूलों की महक भी नहीं होगी, जिनके बिना हमारा जीवन नीरस और निरर्थक हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के गंभीर संकट से देश और दुनिया को बचाने के लिए पर्यावरण जागरूकता का विशेष अभियान रायपुर शैक्षणिक जिले के स्कूलों में सफलतापूर्वक संचालित किया गया है। इसकी उत्साहजनक सफलता को देखते हुए अब इसे छत्तीसगढ़ के सभी स्कूलों में चलाया जाएगा, ताकि स्कूली बच्चों के माध्यम से इसका संदेश प्रत्येक घर-परिवार और जन-जन तक पहुंचे।

डॉ. रमन सिंह ने १४ अक्तूबर को अपने निवास पर जलवायु परिवर्तन को लेकर स्कूली बच्चों के जागरूकता अभियान के प्रथम चरण के अन्तर्गत सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले 250  स्कूली बच्चों को पुरस्कार वितरित करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। डॉ. सिंह ने छात्र-छात्राओं सहित सभी लोगों को शारदीय नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा केन्द्रीय भू-विज्ञान मंत्रालय और समाजसेवी संस्था आई.ए.एस.आर.डी.  नई दिल्ली के सहयोग से लगभग डेढ़ माह का यह अभियान विगत 28 अगस्त से कल 13 अक्टूबर तक रायपुर शैक्षणिक जिले के सभी विकासखण्डों में चिन्हांकित 50  समन्वय शालाओं (नोडल स्कूलों)  के माध्यम से उनके 241  स्कूलों में चलाया गया। पूरे अभियान में इन मिडिल स्कूलों, हाई स्कूलों और हायर सेकेण्डरी स्कूलों के लगभग 24  हजार बच्चों ने सक्रिय भागीदारी से पर्यावरण संरक्षण के संकल्प और संदेश को स्थानीय जनता के बीच प्रचारित किया। मुख्यमंत्री ने आज दोपहर अभियान के प्रथम चरण के समापन पर पुरस्कृत बच्चों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने की। पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम के संयोजक और रायपुर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्री अशोक बजाज ने इस अवसर पर अभियान की गतिविधियों का विवरण दिया। छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री लीलाराम भोजवानी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

मुख्य अतिथि की आसंदी से डॉ.  रमन सिंह ने स्कूली बच्चों को संबोधित करते हुए इस अभियान की जोरदार शब्दों में प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह अभियान राज्य सरकार द्वारा इस वर्ष आम जनता की सक्रिय भागीदारी से शुरू किए गए 'पानी बचाओ अभियान'  और 'हरियर छत्तीसगढ़'  अभियान को आगे बढ़ाने में काफी मददगार साबित हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के प्रति स्कूली बच्चों में जागरूकता लाने का यह एक अच्छा प्रयास है। वृक्षारोपण करने, बिजली की बचत करने, पॉलीथिन के दुरूपयोग को रोकने जैसे कई कार्य देखने में छोटे जरूर लगते हैं,  लेकिन पर्यावरण संकट से निपटने में ऐसे कार्यो की सबसे बड़ी भूमिका होती है। स्वच्छ और ताजी हवा के झोंके,  नदियों का साफ पानी,  पेड़ों पर चहकते गौरैया, तोता, मैना और कोयल और यहां तक कि सांप और बिच्छु भी हमारी प्रकृति और जैव विविधता की सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने आवासीय परिसर का उल्लेख करते हुए कहा कि इस परिसर में विभिन्न प्रजातियों के लगभग 250 वृक्ष हैं और इनमें करीब 40 प्रकार के जीव-जन्तुओं,चिड़ियों और सांप और बिच्छु तक की चहल-पहल होती है। आम के मौसम में कोयल की कुहूक मन को छू जाती है। डॉ.  रमन सिंह ने कहा कि ऐसा ही परिवेश प्रत्येक गांव और शहर में होना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल शिक्षा मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के कारण आज पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन का खतरा साफ देखा जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है और दुनिया के कई द्वीपों और छोटे देशों सहित अनेक शहरों के निकट भविष्य में जलमग्न होकर डूब जाने का अंदेशा वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है। छत्तीसगढ़ के संदर्भ में श्री अग्रवाल ने कहा कि यहां भी अब बेमौसम बरसात और खण्ड वर्षा होने लगी है। कभी बरसात के मौसम में इतनी उमस नहीं होती थी,  लेकिन अब बारिश के दिनों में लोग उमस से परेशान रहते हैं। स्वाईन फ्लू और डेंगू जैसी बीमारियों का कभी हम लोगों ने नाम भी नहीं सुना था,  लेकिन आज ये बीमारियां भी जन-स्वास्थ्य के लिए चुनौती बनकर आयी हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह सब प्रकृति से खिलवाड़ का ही नतीजा है कि आज हमें खाने के लिए अच्छे और स्वादिष्ट फल भी ठीक से नहीं मिल पाते। उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में पर्यावरण को बचाने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे आना होगा। श्री अग्रवाल ने कहा कि इस कार्य में हमारी नयी पीढ़ी के स्कूली बच्चों का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा। यह रायपुर शिक्षा जिले के स्कूलों में चलाए गए अभियान से साबित हो गया है। अगर हम इस अभियान में स्कूली बच्चों को जोड़ेंगे,  तो उनके माता-पिता और परिवार के अन्य लोग भी इसमें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सहभागी बनेंगे। श्री अग्रवाल ने अभियान को रायपुर शिक्षा जिले में मिली सफलता का उल्लेख करते हुए कहा  कि मुख्यमंत्री  डॉ.रमन  सिंह  के  नेतृत्व  में  निकट  भविष्य में यह अभियान प्रदेश भर के स्कूलों में चलाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा दिशा-निर्देश जल्द जारी किए जाएंगे।

प्रारंभ में अभियान के संयोजक श्री अशोक बजाज ने रायपुर शिक्षा जिले में इसके अन्तर्गत हुए कार्यक्रमों पर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के आव्हान पर प्रदेश में इस वर्ष गर्मियों में पानी बचाओ अभियान और बारिश में हरियर छत्तीसगढ़ अभियान चलाया गया जिससे प्रेरणा लेकर रायपुर शिक्षा जिले में दोनों अभियानों के आधार पर पर्यावरण जागरूकता की कार्य योजना बनाकर जिले के विकासखण्डों में 50 नोडल शालाएं चिन्हांकित कर उनके जरिए 239  स्कूलों को इसमें जोड़ा गया। वैसे तो यह अभियान 28 अक्टूबर को माना बस्ती के शासकीय हायर सेकेण्डरी स्कूल से शुरू किया गया था और एक अक्टूबर को इसका औपचारिक समापन हुआ,  लेकिन अभियान को मिली भारी लोकप्रियता को देखकर जनता की विशेष मांग पर कल 13  अक्टूबर को ग्राम खोला और चण्डी के स्कूलों में भी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रकार यह अभियान लगभग डेढ़ माह तक चला। श्री बजाज ने कहा कि बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की भावना को संस्कार के रूप में विकसित करना और दृष्टिकोण को व्यापक बनाना इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि अभियान केवल वृक्षारोपण् तक सीमित नहीं था। इसमें बच्चों को पानी की बचत करने,  हवा की कीमत समझने, कुपोषण की रोकथाम और नशाबंदी के बारे में भी बताया गया। नोडल शालाओं के माध्यम से 241 स्कूलों के 25 हजार से अधिक बच्चों ने इसमें सक्रिय उपस्थिति दर्ज करायी। शुभारंभ कार्यक्रम में माना बस्ती के हायर सेकेण्डरी स्कूल में एक हजार बच्चों ने मानव श्रृंखला बनाकर पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प लिया। पूरे अभियान में हर विद्यार्थी को वन विभाग द्वारा एक-एक पौधा भी दिया गया और किस बच्चे ने किस प्रजाति का पौधा कहां लगाया है, इसका रिकार्ड भी रखा गया, ताकि बच्चे जीवन भर उसकी देखभाल कर सकें। प्रत्येक विद्यार्थी को एक प्रश्नावली दी गयी जिसमें जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए उनसे सुझाव मांगे गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ सुझाव देने वाले पांच-पांच बच्चों का चयन प्रत्येक स्कूल से किया गया, जिन्हें आज के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कृत किया गया है। इस अवसर जिला शिक्षा अधिकारी सहित रायपुर शिक्षा जिले के सभी विकासखण्डों के ब्लाक शिक्षा अधिकारी और संबंधित शालाओं के प्राचार्य तथा बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे उपस्थित थे।

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