वन्य प्राणियों की रक्षा कीजिए--डॉ आभा पान्डे
>> सोमवार, 27 सितंबर 2010
आज मानव स्वभाव से ही स्वार्थी व लालची होता जा रहा है। आज इन्सान अपने सारे रिश्ते नातों को भूल कर आगे की ओर बढ रहा है उसकी ये भावना इन्सानों को तो छोड़िये मूक प्राणियों पर भी कहर बरपा रही है। भरत जो अपनी वन संपदा से ओत प्रोत था आज वह अपनी इस संपदा से धीरे धीरे वंचित होता जा रहा है हमारा वन्य प्राणियों के प्रति अत्याचार जो कभी राजाओं के आखेट के रुप में कभी शिकारीयों के रुप में आहत हुआ है। जो जंगल कभी शेर की दहाडों से गूजता था जिनकी गिनती करना संभव नही था उसी जंगल के राजा को आज हम अंगुलियों पर गिन रहे हैं। जरा सोचिये यदि वन का राजा नहीं रहा तो क्या वन की शोभा फीकी नही पड़ जायेगी यदि हम किसी को जीवन दे नहीं सकते तो हमें जीवन छीनने का क्या अधिकार । इसी विचारधारा को मन में उठने दीजिये हमारे यही विचारों से वन का राजा ही नही अन्य वन्य प्राणी भी हमें कृतज्ञता भरी नजरों से देखेगें। वन्य प्राणियों की रक्षा व पर्यावरण के लिये हमें वनों की भी रक्षा करनी होगी
रायपुर
3 टिप्पणियाँ:
पर्यावरण बचाने के लिए वन्य-प्राणियों की रक्षा ज़रूरी है ,लेकिन यह तभी संभव है जब वनों की रक्षा हो. बहरहाल एक अच्छा विषय उठाया है आपने. बधाई और शुभकामनाएं.
Dear AbhaJi
Yes A highly noble Thought mam....Could you please elaborate more on how do we go about it ...
I agree to the wild life preservation completely...Afterall What are we without them....I myself once thought about the situation of animals and wrote a Post...Kindly have a look...
http://kitnedoorkitnepaas.blogspot.com/2010/09/blog-post.html
Yours Truly
Deependra Vikram
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आपके महत्वपूर्ण लेख जनमानस में वन्य जीवों के बचाव के साथ-साथ पर्यावरणीय संसाधनों के संतुलित उपयोग के प्रति जागरूकता प्रदान करते है.
आपके इस अनुपम प्रयास को सादर नमन करता हूँ......
धन्यवाद - - - -
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