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प्रदूषण के डर से , ना निकला घर से ;

>> रविवार, 7 नवंबर 2010

प्रदूषण  के डर से ,
ना निकला घर से ;


पटाखों की लड़ियाँ ,
और फुलझड़ियाँ ,
सुहाने चमन  में ,
कहर  बन के बरसे ;
प्रदूषण  के डर से ,
ना निकला घर से ;

हर मोड़ पर है मधुशाला ,
हर हाथ में मस्ती का प्याला ;
कैसे बचाऊँ  तुम्हें ,
इस जहर से ;
प्रदूषण  के डर से ,
ना निकला घर से ;

कहाँ है दिवाली ,
कहाँ खुशहाली ;
उसे देखनें को ,
ये नैना तरसे ;
प्रदूषण  के डर से ,
ना निकला घर से ;

तूफां में जलते दीयों के नजारें ,
घनें बादलों में छिपे है सितारे ;
जाऊँ तो कैसे ,
पथरीली डगर  से ; 
प्रदूषण के डर से ,
ना निकला घर से ;

साल के बाद आयेगी फिर से दिवाली ,
झोली रहें ना किसी की खाली ;
ब्लॉग से ही बधाई हो ,
मेरी तरफ से  ;
प्रदूषण के डर से ,
ना निकला घर से ;

कृपया इस  कविता को यहाँ भी पढ़े

9 टिप्पणियाँ:

ब्लॉ.ललित शर्मा 7 नवंबर 2010 को 2:23 pm बजे  

आपकी चिंता जायज है।
लेकिन आज तो घर से निकलना पड़ेगा।
मातर जो है:)

बाल भवन जबलपुर 7 नवंबर 2010 को 8:23 pm बजे  

अशोक जी
आपका ब्लाग मुझे अच्छा लगा आज की पोस्ट में लिंक किया है
a href="http://bharatbrigade.com पर

cgswar 10 नवंबर 2010 को 12:39 pm बजे  

प्रदूषण का डर हर मन में जगाना है,

पर्यावरण से प्रेम सबका सपना बनाना है।
इस अभियान में आपको बहुत आगे तक जाना है
,
हमारा साथ आपके साथ है्.....

कविता रावत 10 नवंबर 2010 को 1:42 pm बजे  

बहुत सुंदर रचना ...
आपका ब्लाग मुझे अच्छा लगा

S.M.Masoom 12 नवंबर 2010 को 1:52 am बजे  

बहुत ही सुंदर अंदाज़ मैं पेश किया है.

Smart Indian 18 नवंबर 2010 को 8:09 am बजे  

बहुत सुंदर रचना!

Apanatva 2 दिसंबर 2010 को 7:56 am बजे  

lajawab rachana........
samay nikaal kar aaj kee post par jo maine site dalee hai use har point se padiyega....
A B C D OPTION .
dekhiye chahe to kya nahee kiya ja sakta..........
bangalore ke kuch noujavano ne prashanseey kadam uthae hai.........
ise link ko aap bhee sabhee ko bhej kar aandolan me hath bataiye.........
gujarish hai.......

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