पर्यावरण बचाना है--सबको पेड़ लगाना है!!---धरती हरी भरी रहे हमारी--अब तो समझो जिम्मेदारी!! जल ही जीवन-वायू प्राण--इनके बिना है जग निष्प्राण!!### शार्ट एड्रेस "www.paryavaran.tk" से इस साईट पर आ सकते हैं

'मैं बचपन की बात करूँ--शिखा कौशिक [शोध छात्रा]

>> शनिवार, 16 अप्रैल 2011


शिखा कौशिक [शोध छात्रा]
       पुत्री श्री कौशल प्रसाद [एडवोकेट]
       कांधला [मुज़फ्फरनगर]
बचपन और हमारा  पर्यावरण
            ''मैं बचपन की बात करूँ ,
     या बचपन मुझको याद करे ;
       आओ आज बैठकर हम तुम
       छोटी-छोटी बात करें ''   [आभा श्रीवास्तव]
बाजारवाद ,उपभोक्तावाद और भौतिकतावाद प्रधान आज के युग में एक और जहाँ लैपटौप, मोबाईल आदि टेक्नोलोजी  का उपयोग करते बच्चे उम्र से पहले ही व्यस्क होने लगे है वही आज के बड़ों को यह चिंता सता रही है कि हम कही अपनी अगली पीढ़ी  को प्रदूषित पर्यावरण के हवाले कर उनके जीवन के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहे है ? वैश्वीकरण को बढावा देने वाली हमारी पीढ़ी  ने अपने पूर्वजों से प्राप्त पर्यावरण की कितनी दुर्गति की है यह किसी से छिपा नहीं है .प्रकृति के साथ किये  गए  हमारे खिलवाड़ को शब्दों में प्रकट  करते हुए मो अरशद खान सच ही लिखते है --
       ''दूर-दूर तक हरा-भरा जो
     फैला था मैदान,
     लाला जी ने बनवा ली है ,वहां कई दूकान,
 बन कर ठूठ खड़ा है पीपल ,जो देता था छाव,
सूना सूना  सा लगता है ,अब नानी का गाँव .''
अब जब गाँव की ही ये दशा है तो महानगरों का हाल कैसा होगा इसका तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है .हम अपनी बात छोड़ भी दे तब भी ये तो हमे सोचना ही होगा की आखिर आज के बच्चे कैसे जीवन धारण कर पायेगे ऐसे प्रदूषित पर्यावरण में ? प्रदूषित हवा , प्रदूषित जल और प्रतिपल बढता भयंकर शोर ...इन सबसे त्रस्त बच्चे शायद चंदा मामा से पूछ रहे हैं --
        क्या ऊपर भी धुंआ धुआं है ,
      चलती है बस कार जी ,
  लाउडस्पीकर शाम सवेरे
    बजते है बेकार जी ''  [किशोर कुमार कौशल ]
हमने बच्चों के लिए छोड़ा ही क्या है ? वैश्वीकरण की अंधी दौड़ में धरती ,नदिया ,हरियाली ,स्वच्छ हवा ,पर्वत , सागर ,पशु-पक्षी आदि सभी को दूषित कर डाला है ------
           ''धरती मैली ,नदिया मैली
        मैला -मैला आसमान
              हरियाली और स्वच्छ हवा को
         निगल गया इंसान,
               पर्वत, पेड़ ,हवाएं सागर
          पशु-पक्षी का हाहाकार
                कितना दूषित ,कितना कलुषित;
           मानव का संसार '' [भगवती प्रसाद दवेदी  ]
प्रदूषण के कारण  आज के बच्चे कितनी भयानक बीमारियों से ग्रस्त हो रहे है इसका तो अनुमान लगाना भी संभव नहीं है .उत्तर प्रदेश  के पूर्वी तराई इलाके में स्वच्छ पेयजल कि एक बड़ी समस्या के कारण बरसात के मौसम में घरों में लगे साधारण हैंडपंप का पानी भी अत्यधिक प्रदूषित हो जाता है जिसके कारण छह वर्ष से बारह वर्ष तक के बच्चों को 'इन्सेफ्लितिस''  नाम की बीमारी अपना शिकार बना लेती है .संक्रमित पेयजल रक्त के माध्यम से बच्चों के मस्तिष्क में पहुंचकर तंत्रिकातंत्र पर हमला कर देता है .पिछले बीस वर्षों में ६५,००० बच्चों को अपना शिकार बनाने वाली बीमारी के कारणों का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो तो इस बीमारी का शिकार बनने वाले मरीजों की संख्या में पचास प्रतिशत की कमी आ सकती है .जलजनित बीमारियों के तेज होते हमलों के कारण बच्चों के बाल झड़ने जैसी बीमारियाँ भी बढती जा रही है.
वायु प्रदूषण के प्रकोप से बचपन आज धुंआ पीता सा प्रतीत होता है.स्कूल बस के इन्तजार में खड़े बच्चे हो या घर में रसोई गैस के धुए को सूघते बच्चे --सब त्रस्त है साँस न आने से .बच्चों में बढती साँस की बीमारी आज चिंता का बड़ा कारण है .आज हमारे देश में दो करोड़ लोग ''दमा ''की समस्या से ग्रस्त है जिसमे एक बड़ा प्रतिशत हमारी भावी पीढ़ी का भी है . वाहनों की संख्या बढती जा रही है .कुल वायु प्रदूषण का सत्तर प्रतिशत इन वाहनों से निकलने वाले धुंए की वजह से ही है .एक अनुमान के अनुसार घरेलू प्रदूषण जो 'रसोई गैस के जलने आदि से होता है ' के कारण भी प्रतिवर्ष ५ लाख महिलाओ व् बच्चों की मौत हो जाती है .
बेतार के नेटवर्क के कारण भी कैंसर जैसी भयानक बीमारियाँ बच्चों को अपना शिकार बना रही है .वैज्ञानिकों ने हाल ही एक शोध में पाया कि जहाँ ऐसे टावर लगाये गए वहां के आस पास के पेड़ सूख गए --इससे उन अभिभावकों का भय सच साबित हुआ जिन्होंने ऐसे टावर बच्चों के स्कूल के पास लगाये  जाने का विरोध किया था .
        अपनी अगली पीढी को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए अब हमे कमर कस लेनी चाहिए .हमे शुद्ध जल का समझदारी से प्रयोग करना चाहिए और उसे प्रदूषित होने से रोकना चाहिए .यथासंभव पेड़-पौधे लगाने चाहिए .निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए .बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण-संरक्षण की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए .जब हम बच्चों  के लिए सुरक्षित पर्यावरण छोड़ेगे  तभी तो हम सुरक्षित भविष्य की नीव रख पायेगे ------
''बच्चे आखरी उम्मीद है
दुनिया  में / अच्छे  दिनों की  [कुमार विश्वबंधु]

2 टिप्पणियाँ:

Shalini kaushik 16 अप्रैल 2011 को 8:59 am बजे  

अपनी अगली पीढी को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए अब हमे कमर कस लेनी चाहिए
bahut sahi aahvan .sarthak aalekh .

DR. ANWER JAMAL 16 अप्रैल 2011 को 10:45 pm बजे  

अपनी अगली पीढी को प्रदूषण के खतरों से बचाने के लिए अब हमे कमर कस लेनी चाहिए .हमे शुद्ध जल का समझदारी से प्रयोग करना चाहिए और उसे प्रदूषित होने से रोकना चाहिए .यथासंभव पेड़-पौधे लगाने चाहिए .निजी वाहनों के स्थान पर सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करना चाहिए .बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण-संरक्षण की शिक्षा प्रदान करनी चाहिए .जब हम बच्चों के लिए सुरक्षित पर्यावरण छोड़ेगे तभी तो हम सुरक्षित भविष्य की नीव रख पायेगे

Nice post.

एक टिप्पणी भेजें

हमारा पर्यावरण पर आपका स्वागत है।
आपकी सार्थक टिप्पणियाँ हमारा उत्साह बढाती हैं।

  © Blogger template Webnolia by Ourblogtemplates.com 2009

Back to TOP